
हापुड़ के दिल्ली रोड स्थित आनंद विहार योजना में करोड़ों रुपये के महंगे व्यावसायिक प्लॉट बेचने के बाद अब विवाद खड़ा हो गया है। हापुड़-पिलखुवा विकास प्राधिकरण (HPDA) द्वारा बेचे गए इन प्लॉट्स पर जैसे ही निर्माण शुरू हुआ, वन विभाग ने रास्ता देने और पेड़ काटने पर आपत्ति जता दी।
निवेशकों की आपबीती: “प्लॉट तो मिला, पर रास्ता नहीं”
दिल्ली की कंपनी Sobtis Buildwell Ltd. के प्रतिनिधि लाखन सिंह का आरोप है कि उन्होंने करोड़ों खर्च कर HPDA से प्लॉट खरीदा, लेकिन सामने लगे 19 पेड़ों के चलते न तो रास्ता मिल रहा है और न ही कंस्ट्रक्शन हो पा रहा है।
वन विभाग ने साफ कर दिया कि ये पेड़ संरक्षित क्षेत्र में आते हैं, इसलिए ना इन्हें काटा जा सकता है और ना ही रास्ता दिया जाएगा।
HPDA की सफाई: “जो देखा, वही मिलेगा”
HPDA के उपाध्यक्ष डॉ. नितिन गौड़ ने कहा:
“नीलामी ‘As Is Where Is’ आधार पर होती है। लोकेशन और स्थिति जांचना आवंटी की जिम्मेदारी होती है। वहां से ट्रक भी निकल सकते हैं।”
HPDA ने यह भी कहा कि अन्य प्लॉट धारकों को कोई परेशानी नहीं है, और यदि किसी को दिक्कत है तो वह प्लॉट सरेंडर कर सकता है।
वन विभाग की स्थिति स्पष्ट: “हमारा क्षेत्र, हमारी शर्तें”
वन विभाग के अनुसार:
दिल्ली रोड किनारे की जमीन विभाग के अधिकार क्षेत्र में आती है।
वन कानूनों के तहत पेड़ नहीं काटे जा सकते।

किसी भी तरह का रास्ता देने से स्पष्ट इनकार।
मामला अब पहुंचा सरकार के दरवाज़े
अब दोनों पक्षों की दलीलों के बीच मामला प्रदेश सरकार के कोर्ट में है। आवंटियों ने शासन को पत्र भेजकर HPDA के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है, वहीं HPDA कह रहा है कि प्रक्रिया पूरी तरह नियमानुसार थी।
विकास योजनाओं पर मंडराया संकट
स्थानीय व्यापारिक संगठनों ने चिंता जताई कि अगर यह विवाद जल्द सुलझा नहीं, तो:
निवेशकों का विश्वास कमजोर होगा
भविष्य की विकास योजनाओं पर नकारात्मक असर पड़ सकता है
अब सबकी निगाहें शासन के फैसले पर
सवाल ये है कि क्या सरकार पर्यावरण कानूनों को दरकिनार कर निवेशकों को राहत देगी, या वन संरक्षण को तरजीह देगी?
फिलहाल मामला पेड़ों बनाम प्लॉट में उलझा हुआ है, और निवेशकों की सांसें अटकी हैं।